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सहल : हाड़ा रानी – काव्यात्मक कथा

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वो केवल एक रानी नहीं थीं,
बल्कि शक्ति थीं, श्रद्धा थीं
त्याग की पराकाष्ठा थीं।
पति के विजय पथ को प्रशस्त करने के लिए
उन्होंने स्वयं को अर्पित कर दिया—
हाथों के कंगन नहीं,
निशानी में अपना शीश भेज दिया।

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Available on August 1, 2025

सहल : हाड़ा रानी राजस्थान के दिल की उस आवाज़ की कहानी है जिसे सदियों से सुना तो गया, लेकिन महसूस बहुत कम किया गया।

मैंने ये किताब इसलिए लिखी क्योंकि मुझे हाड़ा रानी की बलिदानी गाथा में वो प्रेम, वो साहस, और वो आत्मत्याग दिखाई दिया जो आज भी हमारे दिलों को झकझोर देता है। यह सिर्फ इतिहास नहीं, एक ऐसी आत्मा की पुकार है जो प्रेम को कर्तव्य से बड़ा मानती है — और फिर भी अपने कर्तव्य के लिए प्रेम को न्योछावर कर देती है।

जब युद्धभूमि में जाते हुए उनके पति ने एक निशानी माँगी, तो हाड़ा रानी ने अपने सिर को ही प्रेम की अंतिम निशानी बना दिया। क्या ऐसा प्रेम आज की दुनिया समझ सकती है? क्या हम उस स्त्री की पीड़ा, उसका आत्मबल और उसकी चुप्पी में छिपी चीख को सुन सकते हैं?

सहल सिर्फ एक ऐतिहासिक कथा नहीं, यह उस नारी का पुनर्जन्म है जिसकी कहानी वक्त की धूल में दब गई थी। मैंने इसे इसलिए लिखा ताकि हम याद रख सकें कि प्रेम कभी-कभी त्याग होता है, और स्त्री शक्ति कभी-कभी मौन बलिदान में प्रकट होती है।

यह किताब उन सभी के लिए है जो अपने अंदर के युद्ध से लड़ रहे हैं, जो अपने प्रेम, अपने कर्तव्य, और अपनी पहचान के बीच फँसे हैं। यह सहल की आवाज़ है — लेकिन शायद, पढ़ते-पढ़ते ये आपकी भी बन जाए।

Weight 200 g
Dimensions 5 × 0.63 × 8 in
ISBN

978-81-988398-5-5

Author

Dany Solanki

Language

Hindi

Paperback

238 pages

Genre

Historical Narrative Poetry

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